लेखनी प्रतियोगिता - गुरु दक्षिणा
गुरु दक्षिणा
"मास्टर जी, आज मां की तबीयत खराब थी, इसलिए स्कूल आने में लेट हो गया।" बहुत ही डरते हुए राजू ने अपने अध्यापक को कहा।
सूरज, जोकि एक सुदूर गांव में गणित का शिक्षक था। अपने विद्यार्थियों को पूरे लगन से पढ़ाता था। उसका एक ही मकसद था कि इस गांव का कोई भी बच्चा अशिक्षित ना रह जाए। इसलिए बहुत मनोयोग से पढ़ाता था। कोशिश करता कि सभी बच्चे सही समय पर स्कूल आएं।
घर घर जाकर बच्चों के माता पिता को पढ़ाई के प्रति जागरूक करता। उसकी इस पहल का नतीजा था कि गांव के लगभग सभी बच्चे स्कूल आने लगे थे।
राजू भी उन्ही में से एक था। 5वीं कक्षा का छात्र था वह।पढ़ने में बहुत होशियार था। उसके पिता नहीं थे और मां भी बीमार रहा करती थी। वो और उसकी मां बस इतना ही परिवार था उसका।
मां राजू को बहुत लगन से पढ़ने भेजती। पर उसकी बिगड़ती हालत उसका साथ नहीं दे रहे थे। उसे डर लगता था कि अगर उसे कुछ हो गया तो राजू का क्या होगा? उसके आगे पीछे कोई नही है उसे संभालने वाला।
...
राजू ने डरते हुए सूरज को देर से आने की वजह बताई। सूरज ने उसके चहरे पर छाई मासूमियत देखी और उसे कक्षा में बैठने को बोला।
छुट्टी के समय सूरज राजू के पास आया और बोला, " राजू, आज मैं भी तुम्हारे साथ तुम्हारे घर चलूंगा।" दोनों घर पहुंचे तो देखा कि राजू की मां बेहोश पड़ी थी। राजू बेचारा बहुत डर गया और जोर जोर से रोने लगा। सूरज ने उसे प्यार से गले लगाया और चुप करवाया। फिर पड़ोस के लोगों के साथ मिल कर राजू की मां को डिस्पेंसरी ले गया। वहां के डॉक्टर ने उन्हें शहर ले जाने के लिए कहा तो सूरज ने उन्हे शहर के अस्पताल में भर्ती करवाया। जांच करने पर पता चला की राजू की मां को ब्रेन ट्यूमर है और बचने की कोई उम्मीद नहीं है।
राजू बेचारा इतना छोटा था कि उसे कुछ पता नही चल रहा था कि आखिर उसकी मां को क्या हुआ। वो बार बार सूरज से पूछ रहा था। मास्टर जी, क्या हुआ है मेरी मां को? वो कब ठीक होगी? कब हम उन्हे घर लेकर जाएंगे? सूरज उसकी बातों को सुनकर कर अंदर ही अंदर रो रहा था। उसे समझ नही आ रहा था कि कैसे राजू को बताए कि उसकी मां मरने वाली है।
....सात साल बाद,
शहर के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले राजू के आस पास रिपोर्टर्स की भीड़ लगी है। वे उसका इंटरव्यू लेना चाहते हैं। 12वीं में राजू ने पूरे देश में पहला स्थान जो हासिल किया था वो भी साइंस स्ट्रीम से। सब उसके बारे में जानना चाहते थे।
राजू ने बोलना शुरू किया, " मैं बहुत छोटा जब मेरे पापा नहीं रहे। 5वीं कक्षा में मां का साया सर से उठ गया था। पर कोई था जिसने एक अनाथ को संभाला, मुझे पाला, पढ़ाया। धूल में मिलने की बजाय मुझे और मेरी जिंदगी को नई दिशा दी। आज जो मेरी कामयाबी है वो सिर्फ उन्ही की वजह से है। मेरे माता पिता, भाई बहन, मेरा सारा परिवार सिर्फ उनसे ही है। मेरे गुरु, मेरे अध्यापक सूरज जिन्होंने मुझे एक नई जिंदगी दी। चाहते तो वो मुझे छोड़ कर चले जाते। हमारा कोई खून का रिश्ता नही पर हमारा जो रिश्ता है वो शब्दों में नही बताया जा सकता। उन्होंने मुझसे बदले मैं कुछ नहीं मांगा। उनकी इस त्याग का मोल में कभी नहीं चुका सकूंगा। पर एक वादा में आप सब के सामने, उनसे और खुद करता हूं। अपनी आने वाले जिंदगी में जो भी बड़ा और अच्छा करूंगा वो उनको समर्पित करूंगा।"
इतना बोलते बोलते राजू की आंखों में आंसू की 2 बूंद छलक आईं। और साथ ही खड़े उसके आदरणीय मास्टर जी भावुक हो गए और उसको गले लगा लिया।
प्रियंका वर्मा
22/8/22
Chetna swrnkar
24-Aug-2022 12:37 PM
Very nice
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Ajay Tiwari
23-Aug-2022 09:37 PM
Very nice
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आँचल सोनी 'हिया'
23-Aug-2022 04:38 PM
अति सुन्दर 👍👌💐
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